Select Language

Saturday 8 March 2014

विंडोज एक्सपी से माइक्रोसॉफ्ट ने झाड़ा पल्ला

माइक्रोसॉफ्ट अगले महीने से अपने बेहद लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम माइक्रोसॉफ्ट विंडोज़ एक्सपी से सपोर्ट को खत्म कर देगा। इसका मतलब है कि इस सॉफ्टवेयर के लिए अब नए सिक्योरिटी फीचर्स, सॉफ्टवेयर अपडेट और बग फिक्सेज़ जारी नहीं होंगे।

इस बारे में माइक्रोसॉफ्ट लोगों और कारोबारियों को कई महीने से आगाह कर रहा था। आठ अप्रैल से माइक्रोसॉफ्ट इस सिस्टम को कोई मदद नहीं देगा।

माइक्रोसॉफ्ट की इस कवायद का मकसद लोगों को विंडोज़ के नए संस्करणों को ओर ले जाना है। इस बारे में माइक्रोसॉफ्ट ने एक वेबसाइट तैयार की है। इस वेबसाइट के मुताबिक आठ मार्च के दिन इस ऑपरेटिंग सिस्टम का इस्तेमाल करने वाले लोगों की स्क्रीन पर एक चेतावनी आएगी। जिसके ठीक एक महीने बाद एक्सपी के लिए सारा सपोर्ट खत्म हो जाएगा।

लोगों को विंडोज़ के नए संस्करण पर ले जाने के लिए माइक्रोसॉफ्ट कई दूसरी सॉफ्टवेयर फर्मों के साथ भी काम कर रही है ताकि लोगों की मदद की जा सके।

विंडोज़ एक्सपी का लंबा सफर

विंडोज़ एक्सपी की बिक्री अक्टूबर 2001 में शुरू हुई थी और इसे ग्राहकों ने काफी पसंद किया। बाजार शोध फर्म नेट एप्लीकेशंस के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त 2012 तक ये माइक्रोसॉफ्ट का सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला ऑपरेटिंग सिस्टम था। हालांकि इसके बाद विंडोज़-7 आगे निकल गया।

सलाहकार फर्म गार्टनर में शोध उपाध्यक्ष माइकेल सिल्वर ने बताया, "हमारा अनुमान है कि नौ अप्रैल को भी करीब 20 से 25 प्रतिशत एंटरप्राइज पीजी एक्सपी पर ही काम कर रहे होंगे।"

ये सॉफ्टवेयर आज भी कई सरकारी संस्थानों में काफी लोकप्रिय है और कुछ अध्ययनों से पता चला है कि दुनिया की ज्यादातर कैश मशीनों में आज भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

सिल्वर बताते हैं कि इस सॉफ्टवेयर की लंबी उम्र की वजह ये नहीं है कि एक्सपी में दूसरों के मुकाबले कुछ खास है, बल्कि इसकी बड़ी वजह बाद में आने वाले संस्करणों में हुई देरी है। ऐसे में इस ऑपरेटिंग सिस्टम के सपोर्ट लाइफ को बढ़ा दिया गया।

लंबे समय तक एक ही ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने के चलते कंपनियों को इससे एक तरह का लगाव सा हो गया।

माइक्रोसॉफ्ट की चिंता

एक सवाल ये भी है कि आखिर माइक्रोसॉफ्ट क्यों चाहती है कि लोग एक्सपी का इस्तेमाल बंद कर दें। ऐसा इसलिए है क्योंकि उसे डर है कि एक बार सिक्योरिटी अपडेट बंद होने के बाद अगर लोग फिर भी एक्सपी का इस्तेमाल करते हैं तो हाईटेक चोर उनके सिस्टम को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

विंडोज़-7 और विंडोज़-8 में कई ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है ताकि साइबर हमलावरों से ऑपरेटिंग सिस्टम की आंतरिक कार्यप्रणाली छिपी रहे।

ऐसे में अगर कोई एक्सपी का ही इस्तेमाल करता है तो इस बात की आशंका अधिक है कि विंडोज़-7 या विंडोज़-8 के मुकाबले उसके पीसी पर आसाने से हमला हो जाए।

साइबरक्रिमनल विंडोज यूजर्स

सिक्योरिटी फर्म फायर आई के जासन स्टीर कहते हैं कि दुर्भाग्य से एक्सपी को लेकर सबसे बड़ा खतरा माइक्रोसॉफ्ट के नियंत्रण से बाहर है।

उन्होंने बताया, "विंडोज़ एक्सपी के करीब 90 प्रतिशत जोखिम थर्ड पार्टी प्रोग्राम में पाए जाते हैं।"

इसका मतलब है कि साइबरक्रिमनल विंडोज यूजर्स तक पहुंचने के लिए एडोब या ऑरेकल के जावा जैसे प्रोग्राम में बग का इस्तेमाल करते हैं।

एंटी-वायरस

ऐसे में सिक्योरिटी सपोर्ट खत्म करने का मतलब है कि इन पीसी पर अधिक आसानी से हमला किया जा सकेगा।

ऐसे में एक अच्छी खबर ये है कि कई एंटी-वायरस कंपनियां एक्सपी को ध्यान में रखते हुए वायरस की रोकथाम करने वाले उत्पाद बनाने की योजना बना रही हैं।

जासन स्टीर बताते हैं कि जिन कंपनियों ने अभी तक अपने सॉफ्टवेयर को अपग्रेड नहीं किया है उन्हें अगले 30 दिनों में भी इस बदलाव को लागू नहीं कर सकेंगी। उन्होंने बताया कि इसमें कई महीने लगेंगे। इसबीच उनपर जोखिम काफी अधिक होगा।

विंडोज एक्सपी चीन में काफी लोकप्रिय है लेकिन इन मशीनों पर माइक्रोसॉफ्ट का नियंत्रण काफी कम है क्योंकि इनमें से कई इस सॉफ्टवेयर के नकली संस्करणों पर चल रहे हैं।

इसबीच बताया जा रहा है कि चीन के अधिकारियों ने माइक्रोसॉफ्ट के साथ बैठक कर एक्सपी के सपोर्ट को बढ़ाने के लिए कहा है, हालांकि माइक्रोसॉफ्ट ने इससे इनकार कर दिया है।
 

No comments:

Post a Comment